Abstract: विकेन्द्रीकरण, भारत जैसे विकासशील देश में लोकतंत्र को सार्थक और कल्याणोंन्मुखी बनाने के लिए आवश्यक है। पंचायती राज लोकतांत्रीय राजनीतिक व्यवस्था में शासन को आम जनता के दरवाजे तक लाता है। पंचायती राज व्यवस्था लोकतंत्र को अधिक व्यापक रूप से लागू करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्थानीय जनता को स्थानीय तरीकों से अपनी समस्याओं का समाधान करने की क्षमता के कारण पंचायती राज व्यवस्था में स्थानीय शासन कार्यों में निरंतर रुचि है। इसलिए, भागीदारी की प्रक्रिया प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से जनता को शासन और प्रशासन का प्रशिक्षण देती है। वर्तमान समय में भारतीय राजनीतिक व्यवस्था को अधिक लोकतांत्रिक बनाने या लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए पंचायती राज संस्थाओं को संबैधानिकता देना और आधी ग्रामीण जनता, खासकर दलितों को इन संस्थाओं में शामिल करना है, जो अब तक 73वें संविधान संशोधन से पहले अनदेखा रह गया है।
अविनाश कुमार. आरक्षण एवं दलित वर्ग: एक विश्लेषणात्मक अध्ययन. Int J Political Sci Governance 2025;7(8):264-267. DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i8d.653