पंचायतीराज में महिलाओं की भूमिकाः राजस्थान राज्य के संदर्भ में
Author(s): सपना गहलोत, साबरीन फातिमा
Abstract: यह शोध पत्र राजस्थान राज्य के परिपे्रक्ष्य में पंचायती राज प्रणाली में महिलाओं की भूमिका का विश्लेषणात्मक अध्ययन प्रस्तुत करता है। पंचायती राज प्रणाली भारतीय लोकतंत्र की आत्मा है, जो ग्रामीण स्तर पर जनता को सीधे शासन में भागीदारी प्रदान करती है। भारतीय संविधान के 73वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम 1992 के अन्तर्गत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं महिलाओं को आरक्षण के माध्यम से प्रतिनिधित्व प्रदान किया गया। जिस कारण महिला सशक्तिकरण को बल मिला, विशेषकर जब पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए 33 प्रतिशत आरक्षण सुनिश्चित किया गया। राजस्थान, पंचायती राज प्रणाली को लागू करने वाला भारत का पहला राज्य था और यहाँ महिलाओं की भागीदारी ने प्रशासनिक और सामाजिक दोनों ही स्तरों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।
इस शोध में स्पष्ट किया गया है कि पंचायतों में महिलाओं की भागीदारी से न केवल उनके आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता में वृद्धि हुई है। बल्कि समाज में उनकी सामाजिक पहचान और निर्णय लेने की शक्ति भी सशक्त हुई है। साथ ही यह शोध यह भी दर्शाता है कि सामाजिक रूढ़ियां, अशिक्षा, आर्थिक निर्भरता और पारिवारिक दबाव आज भी उनके पूर्ण सशक्तिकरण में बाधा बने हुए हैं।
यह अध्ययन विभिन्न साहित्यिक स्रोतों सरकारी रिपोर्टों और सामाजिक विश्लेषणों पर आधारित हैं, जो यह दर्शाता हैं कि पंचायती राज व्यवस्था महिलाओं के सामाजिक उत्थान का सशक्त माध्यम बन रही हैं।
DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i7b.597Pages: 121-123 | Views: 101 | Downloads: 5Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
सपना गहलोत, साबरीन फातिमा.
पंचायतीराज में महिलाओं की भूमिकाः राजस्थान राज्य के संदर्भ में. Int J Political Sci Governance 2025;7(7):121-123. DOI:
10.33545/26646021.2025.v7.i7b.597