लाल बहादुर शास्त्री जी सांसद व शासकीय भूमिका के रूप में
Author(s): आर्या
Abstract:
लाल बहादुर शास्त्री जी स्वतंत्रता आंदोलन से ही "करो या मरो" के महामंत्र से प्रेरित थे और 15 अगस्त 1947 को संविधान सभा में सत्ता हस्तांतरण के साक्षी बने। स्वतंत्र भारत के प्रथम आम चुनाव (1952) की तैयारी में उन्होंने कांग्रेस संगठन को सक्रिय किया और चुनाव अभियान को सफल बनाने में दिन-रात कार्य किया, जिससे कांग्रेस को अपेक्षित विजय मिली।
नेहरू जी के आग्रह पर शास्त्री जी राज्यसभा सदस्य बने और विभिन्न मंत्री पदों का उत्तरदायित्व संभाला। 1957 और 1962 के आम चुनावों में भी उन्होंने कांग्रेस प्रचार का नेतृत्व किया तथा नई पीढ़ी को राजनीति में लाने का प्रयास किया। संगठन क्षमता और कर्मठता के कारण वे नेहरू जी के विश्वसनीय सहयोगी बने। स्वयं चुनाव न लड़ने के बावजूद संगठनात्मक दक्षता और देशव्यापी पहचान ने उन्हें भविष्य के बड़े उत्तरदायित्वों के लिए अग्रसर किया।
आर्या. लाल बहादुर शास्त्री जी सांसद व शासकीय भूमिका के रूप में. Int J Political Sci Governance 2025;7(11):209-216. DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i11c.763