जम्मू-कश्मीर: अनुच्छेद 370 के अन्तर्गत राज्य के अस्थायी विशेष उपबन्ध की समाप्ति एवं उसके बाद की संवैधानिक स्थिति
Author(s): डॉ. गणेशा राम
Abstract: जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 की समाप्ति के लिए पिछले 70 वर्षों से मांग की जा रही थी लेकिन इस कार्य को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी की सरकार ने एक ऐतिहासिक और साहसिक फैसला लेते हुए आखिरकार मूर्त रूप दिया और 5 अगस्त 2019 को संसद की सिफारिश पर अनुच्छेद 370 के खंड (3) में प्रदत शक्तियों का प्रयोग करके राष्ट्रपति ओदश के द्वारा अनुच्छेद 370 के सभी खंडों को निरस्त कर दिया, केवल खंड (1) को छोड़कर। इस प्रकार 5 अगस्त, 2019 का दिन भारतीय इतिहास में एक स्वर्णिम दिन के रूप में दर्ज हो गया। इसी दिन गृह मंत्री अमित शाह द्वारा संसद के उच्च सदन राज्यसभा में अनुच्छेद 370 के निरस्त होने का संकल्प पेश किया जिसके साथ में एक अन्य प्रस्ताव ‘‘जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक, 2019‘‘ भी पेश किया। इसके बाद 6 अगस्त, 2019 को यही दोनों संकल्प और प्रस्ताव लोकसभा में पेश किए गए। संसद के दोनों सदनों द्वारा दो-तिहाई बहुमत से यह संकल्प और प्रस्ताव पारित हो गए। इसके बाद 9 अगस्त, 2019 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होने के साथ ही विधेयक ‘‘जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019‘‘ के रूप में भारत के राजपत्र में अधिसूचित हो गया। इसके बाद जम्मू और कश्मीर राज्य अब ‘‘जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र‘‘ तथा ‘‘लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र‘‘ के रूप में विभाजित हो गया। 31 अक्टूबर, 2019 से ‘‘जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019‘‘ लागू होने के बाद संपूर्ण देश में एक समान कानून, एक संविधान, एक राष्ट्रध्वज और एकल नागरिकता जैसे सभी प्रावधान देश के अन्य संघ राज्य क्षेत्र के समान जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र और लद्दाख संघ राज्य क्षेत्र में भी लागू हो गए है। इस अधिनियम के लागू होने के बाद जम्मू-कश्मीर संघ राज्य क्षेत्र की संवैधानिक स्थिति भारत के पुद्दुचेरी संघ राज्य क्षेत्र के समान हो गई है।
डॉ. गणेशा राम. जम्मू-कश्मीर: अनुच्छेद 370 के अन्तर्गत राज्य के अस्थायी विशेष उपबन्ध की समाप्ति एवं उसके बाद की संवैधानिक स्थिति. Int J Political Sci Governance 2025;7(7):23-28. DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i7a.581