भारतीय संघवाद के समक्ष समकालीन चुनौतियां और समाधान
Author(s): सूरजमल, डॉ. कंवराज सुथार
Abstract:
भारत में संघवाद का तात्पर्य मूलतः केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच शक्तियों के विभाजन से है, जो उन्हें बिना किसी हस्तक्षेप के स्वतंत्र रूप से कार्य करने की अनुमति देता है, जिससे हमारे देश के विकास में सहायता मिलती है।
भारतीय संघवाद को कई समकालीन चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिनमें क्षेत्रवाद, केंद्र-राज्य वित्तीय असंतुलन, राज्यपालों की भूमिका पर विवाद, आर्थिक असमानताएँ, और सांस्कृतिक व भाषाई संघर्ष शामिल हैं। ये चुनौतियाँ राष्ट्रीय एकता को बनाए रखते हुए राज्यों की स्वायत्तता और संवैधानिक संतुलन को बाधित करती हैं, जिससे संघ और राज्यों के बीच संवाद और सहयोग की आवश्यकता बढ़ती है। आज के परिदृश्य में, केंद्र और राज्य सरकारों के साथ-साथ स्थानीय और क्षेत्रीय निकायों के बीच संघवाद में समन्वय बढ़ाने की सख़्त ज़रूरत है। गौरतलब है कि भारत का संघीय ढाँचा अमेरिकी मॉडल से अलग है, जहाँ प्रत्येक राज्य को स्वायत्त विधायी शक्ति प्राप्त है।
सूरजमल, डॉ. कंवराज सुथार. भारतीय संघवाद के समक्ष समकालीन चुनौतियां और समाधान. Int J Political Sci Governance 2025;7(5):254-257. DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i5c.701