सरदार पटेल का दृष्टिकोण: भारतीय राज्य के समग्र निर्माण के लिए एक नई दिशा
Author(s): प्रभात कुमार ओझा
Abstract: यह शोध पत्र भारत के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और भारतीय संघ के निर्माता, सरदार वल्लभभाई पटेल की दृष्टि पर आधारित है। स्वतंत्रता के बाद, जब भारत को एक नए रूप में आकार दिया जा रहा था, तब सरदार पटेल ने भारतीय एकता के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए। हालांकि, उनका योगदान केवल राजनीतिक एकीकरण तक सीमित नहीं था, बल्कि वे एक समग्र और आधुनिक भारतीय राज्य के निर्माण के पक्षधर थे। इस शोध में सरदार पटेल की दृष्टि का विश्लेषण किया गया है, जिसमें उनके राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण शामिल हैं।
सरदार पटेल ने भारतीय रियासतों को एकजुट कर भारतीय संघ के रूप में प्रस्तुत किया, जो भारत की अखंडता और एकता के लिए आवश्यक था। उनके अनुसार, एक मजबूत भारतीय राज्य तभी स्थापित हो सकता था जब सभी राज्यों का एकीकरण किया जाता। इसके अलावा, पटेल का मानना था कि भारतीय समाज में सामाजिक समरसता और सामूहिकता को बढ़ावा देना आवश्यक है। उन्होंने जातिवाद और धार्मिक भेदभाव को समाप्त करने की दिशा में कई कदम उठाए, ताकि समाज में समानता और न्याय का वातावरण बने।
आर्थिक दृष्टिकोण से, पटेल ने भारतीय राज्य को आत्मनिर्भर बनाने के लिए कई नीतियों का समर्थन किया। उनका मानना था कि केवल आर्थिक स्वतंत्रता से ही भारत अपने लोगों का समग्र विकास कर सकता है। उन्होंने औद्योगिकीकरण, कृषि सुधार और बुनियादी ढांचे के निर्माण को प्रोत्साहित किया। इसके साथ ही, वे भारतीय सांस्कृतिक धरोहर और परंपराओं के प्रति गहरे सम्मान रखते थे और भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने की आवश्यकता को महसूस करते थे।
इस शोध पत्र का उद्देश्य सरदार पटेल की व्यापक दृष्टि को उजागर करना है, जो न केवल उनके समय में बल्कि आज भी भारतीय राज्य के विकास के लिए मार्गदर्शन प्रदान करती है। उनकी यह दृष्टि आज भी भारत के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनी हुई है, क्योंकि यह केवल एक राजनीतिक विचारधारा नहीं थी, बल्कि यह भारतीय समाज के हर पहलू की समृद्धि और भविष्य के लिए एक समग्र दृष्टिकोण थी।
DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i4d.560Pages: 330-340 | Views: 46 | Downloads: 2Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
प्रभात कुमार ओझा.
सरदार पटेल का दृष्टिकोण: भारतीय राज्य के समग्र निर्माण के लिए एक नई दिशा. Int J Political Sci Governance 2025;7(4):330-340. DOI:
10.33545/26646021.2025.v7.i4d.560