समकालीन भारत में क्षेत्रवाद तथा राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति
Author(s): संघ सेन सिंह, विवेक पटेल
Abstract: क्षेत्रवादराज्योंकेबीचराजनीतिक, सुरक्षाऔरआर्थिकसहयोगकोबढ़ानेकेलिएएकबहुपक्षीयसंस्थागतप्रक्रियाहै।यहप्रक्रियामुख्यरूपसेविभिन्नराज्योंकेबीचअधिकतमसंपर्कऔरसहयोगसुनिश्चितकरनेकेउद्देश्यसेकीजातीहै।हालाँकि, यहराज्यकीसंप्रभुताऔरउसकेअस्तित्वकोबनाएरखतेहुए, इसेपारकरनेकीभीकोशिशकरताहै, इसप्रक्रियामेंएकप्रमुखविरोधाभासयहहैकिक्षेत्रवाद, एकओर, राज्योंकीभूमिकापरआधारितहैलेकिनदूसरीओर, यहऐसेतंत्रविकसितकरताहैजोराज्यकीप्रमुखताकोकमकरसकतेहैं।यहपरस्परविरोधाभासकुछमहत्वपूर्णआयामोंकोउजागरकरताहै।
समय:ऐतिहासिकरूपसे, क्षेत्रवादकीप्रक्रियासमयकेसाथविकसितहुईहै।यहआमतौरपरलंबेसमयतकचलनेवालीआर्थिकऔरराजनीतिकवार्ताओंकेमाध्यमसेहोताहै, जिसमेंराज्योंकोअपनीसंप्रभुताकेकुछहिस्सोंकोछोड़नेकेलिएसमझौतेकरनेपड़तेहैं।
मजबूतराज्य:क्षेत्रवादआमतौरपरउनमजबूतराज्योंसेबढ़ताहैजोपहलेसेहीअपनीसंप्रभुताकासफलतापूर्वकलाभउठाचुकेहोतेहैं।ऐसेराज्यअधिकप्रभावीरूपसेक्षेत्रवादकोअपनासकतेहैंक्योंकिउनकेपासताकतऔरस्थिरताहोतीहै।
नेतृत्व:मजबूतराज्ययाप्रमुखनेता (हैजेमोनिक) क्षेत्रवादकोबढ़ावादेनेवालेनियमोंऔरमानदंडोंकोस्थापितकरनेमेंमहत्वपूर्णभूमिकानिभातेहैं।येनेताक्षेत्रीयढांचेकोआकारदेनेऔरसहयोगकोमजबूतकरनेमेंप्रमुखहोतेहैं।इसप्रकार, क्षेत्रवादएकजटिलप्रक्रियाहैजोराज्योंकेबीचसामूहिकसहयोगऔरआपसीनिर्भरताकोबढ़ावादेनेकीकोशिशकरताहै, जबकिराज्यकीसंप्रभुताकोचुनौतीदेनेवालेतंत्रोंकाभीनिर्माणकरताहै।
DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i12c.796Pages: 211-215 | Views: 53 | Downloads: 2Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
संघ सेन सिंह, विवेक पटेल.
समकालीन भारत में क्षेत्रवाद तथा राष्ट्रवाद की अभिव्यक्ति. Int J Political Sci Governance 2025;7(12):211-215. DOI:
10.33545/26646021.2025.v7.i12c.796