बिहार की पिछड़ी जातियों में मंडलवादी राजनीति के प्रभाव (1990 से वर्तमान तक)
Author(s): राकेश रंजन झा
Abstract: बिहार का सामाजिक-राजनीतिक इतिहास लंबे समय तक जातिगत संरचनाओं, वर्चस्व, असमानता और संसाधनों के असमान वितरण से प्रभावित रहा है। स्वतंत्रता के शुरुआती दशकों में यहाँ की राजनीति पर ऊँची जातियों विशेषकर भूमिहार, ब्राह्मण, राजपूत और कायस्थ का प्रभुत्व था। वहीं पिछड़ी जातियाँ, विशेषकर ‘अन्य पिछड़ा वर्ग’ (OBC) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC), सामाजिक-शैक्षणिक रूप से वंचित रही थीं। इस पृष्ठभूमि में 1990 के दशक का ‘मंडल दौर’ न केवल बिहार बल्कि पूरे उत्तर भारत में एक सामाजिक क्रांति लेकर आया। मंडल आयोग की सिफारिशों के लागू होने से बुनियादी संरचनाओं राजनीति, नौकरशाही, शिक्षा, अर्थव्यवस्था और सामाजिक पहचान में गहरे परिवर्तन उत्पन्न हुए।
यह लेख 1990 से वर्तमान (2025) तक बिहार की पिछड़ी जातियों में मंडलवादी राजनीति के प्रभावों का गंभीर विश्लेषण करता है। इसमें राजनीतिक पुनर्संरचना, सामाजिक गतिशीलता, आर्थिक परिवर्तन, चुनौतियाँ, आलोचनाएँ और उभरती नई प्रवृत्तियों का विवेचन किया गया है।
DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i12c.788Pages: 178-182 | Views: 56 | Downloads: 6Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
राकेश रंजन झा.
बिहार की पिछड़ी जातियों में मंडलवादी राजनीति के प्रभाव (1990 से वर्तमान तक). Int J Political Sci Governance 2025;7(12):178-182. DOI:
10.33545/26646021.2025.v7.i12c.788