नई विश्व व्यवस्था में भारत–उज़्बेकिस्तान रणनीतिक सहयोग: अवसर, चुनौतियाँ और संभावनाएँ
Author(s): Jagesh Kumar and Jagmeet Singh Bawa
Abstract: इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक में विश्व राजनीति तीव्र गति से बहुध्रुवीयता की ओर बढ़ती दिखाई देती है। अमेरिका, चीन, रूस, यूरोपीय संघ, भारत और अन्य उभरती शक्तियाँ मिलकर ऐसी अंतरराष्ट्रीय संरचना का निर्माण कर रही हैं, जिसे नई विश्व व्यवस्था के रूप में समझा जा सकता है। इस व्यवस्था में एशिया, विशेषकर दक्षिण और मध्य एशिया, ऊर्जा–सुरक्षा, संपर्क–कॉरिडोर, व्यापार–मार्गों और रणनीतिक प्रतिस्पर्धा के केंद्र के रूप में उभर रहे हैं। भारत और उज़्बेकिस्तान, दोनों, इस बदलती परिस्थिति में अपनी विदेश नीति और रणनीतिक प्राथमिकताओं को नए सिरे से परिभाषित कर रहे हैं। भारत बहुध्रुवीय विश्व और बहुध्रुवीय एशिया की अवधारणा को सुदृढ़ करने के लिए बहु–संसक्ति या मल्टी–अलाइनमेंट की रणनीति पर चल रहा है, वहीं उज़्बेकिस्तान बहु–दिशात्मक या मल्टी–वेक्टर विदेश नीति तथा “लैण्डलॉक्ड से लैण्डलिंक्ड” बनने की दीर्घकालिक दृष्टि के साथ आगे बढ़ रहा है (Baghdasaryan, 2024)। इस संदर्भ में दोनों देशों के बीच 2011 में स्थापित रणनीतिक साझेदारी ने राजनीतिक, सुरक्षा, रक्षा, आर्थिक, ऊर्जा, संपर्क, शिक्षा और सांस्कृतिक क्षेत्रों में सहयोग के नए अवसर खोले हैं। हाल के वर्षों में द्विपक्षीय व्यापार, रक्षा–सुरक्षा सहयोग, संपर्क–पहल, शिक्षा–संस्कृति आदान–प्रदान और बहुपक्षीय मंचों पर समन्वय में उल्लेखनीय प्रगति हुई है, किंतु यह सहयोग अभी भी अपनी संपूर्ण संभावनाओं तक नहीं पहुँच पाया है। लॉजिस्टिक बाधाएँ, अफगानिस्तान की अस्थिरता, ईरान से जुड़ी अनिश्चितताएँ, क्षेत्रीय प्रतिस्पर्धा और संस्थागत सीमाएँ इसके प्रमुख अवरोधक हैं। यह शोध–पत्र नई विश्व व्यवस्था के सैद्धांतिक संदर्भ में भारत–उज़्बेकिस्तान रणनीतिक सहयोग का विश्लेषण करता है। प्रारंभ में बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था, भारत की मल्टी–अलाइनमेंट रणनीति और उज़्बेकिस्तान की मल्टी–वेक्टर नीति पर चर्चा की गई है। इसके बाद भारत–उज़्बेकिस्तान संबंधों के ऐतिहासिक–सांस्कृतिक तथा संस्थागत विकास की समीक्षा की गई है। तीसरे भाग में वर्तमान सहयोग के प्रमुख आयामों – राजनीतिक, सुरक्षा–रक्षा, आर्थिक–व्यापारिक, संपर्क–कॉरिडोर, ऊर्जा तथा शिक्षा–संस्कृति – का विश्लेषण प्रस्तुत किया गया है। चौथे भाग में इस सहयोग के अवसरों और चुनौतियों का मूल्यांकन किया गया है और अंततः निष्कर्ष भाग में भविष्य की संभावनाओं के साथ कुछ नीतिगत सुझाव दिए गए हैं।
DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i12b.781Pages: 119-127 | Views: 34 | Downloads: 5Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
Jagesh Kumar, Jagmeet Singh Bawa.
नई विश्व व्यवस्था में भारत–उज़्बेकिस्तान रणनीतिक सहयोग: अवसर, चुनौतियाँ और संभावनाएँ. Int J Political Sci Governance 2025;7(12):119-127. DOI:
10.33545/26646021.2025.v7.i12b.781