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International Journal of Political Science and Governance
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P-ISSN: 2664-6021, E-ISSN: 2664-603X, Impact Factor (RJIF): 5.92
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2025, Vol. 7, Issue 10, Part C

डॉ. भीमराव अंबेडकर के राजनीतिक चिंतन का स्वतंत्र भारत में योगदान


Author(s): रोहित कुमार

Abstract:
डॉ. भीमराव रामजी अंबेडकर भारतीय समाज, राजनीति और संविधान निर्माण के प्रमुख शिल्पकारों में से एक थे, जिन्होंने सामाजिक समानता, न्याय और स्वतंत्रता के मूल सिद्धांतों पर आधारित आधुनिक भारत की नींव रखी। उनका जीवन संघर्ष, विद्या, और समाज सुधार के अनवरत प्रयासों का प्रतीक है। इस शोध का उद्देश्य डॉ. अंबेडकर के राजनीतिक विचारों, लोकतंत्र की उनकी अवधारणा, और समाज में समानता तथा बंधुत्व की स्थापना के प्रति उनके दृष्टिकोण का विश्लेषण करना है।
पद्धति: इस अध्ययन में गुणात्मक (फनंसपजंजपअम) पद्धति अपनाई गई है। विभिन्न ऐतिहासिक दस्तावेजों, डॉ. अंबेडकर के भाषणों, ग्रंथों और संविधान सभा की बहसों का विश्लेषणात्मक अध्ययन कर उनके राजनीतिक चिंतन की प्रमुख अवधारणाओं को प्रस्तुत किया गया है।
परिणाम: डॉ. अंबेडकर ने लोकतंत्र को केवल शासन प्रणाली नहीं, बल्कि सामाजिक जीवन का तरीका बताया। उनके अनुसार सच्चा लोकतंत्र वह है जिसमें सामाजिक और आर्थिक असमानताएँ समाप्त हों तथा प्रत्येक नागरिक को समान अवसर मिले। उन्होंने संसदीय लोकतंत्र को सर्वोत्तम शासन प्रणाली मानते हुए शक्ति के विभाजन, बहुदलीय व्यवस्था और प्रभावशाली विपक्ष की आवश्यकता पर बल दिया। वे मानते थे कि राजनीतिक समानता तब तक अधूरी है जब तक सामाजिक और आर्थिक समानता प्राप्त न हो। संविधान में उन्होंने सभी वर्गों, विशेषतः दलितों, वंचितों, मजदूरों और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा हेतु अनेक प्रावधान किए।
निष्कर्ष: डॉ. अंबेडकर के विचार आधुनिक भारत की लोकतांत्रिक आत्मा का आधार हैं। उनका चिंतन आज भी सामाजिक न्याय, समता और राष्ट्र की एकता को बनाए रखने के लिए प्रासंगिक है। उन्होंने स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को लोकतंत्र के तीन स्तंभ माना, जो भारतीय संविधान की आत्मा बन गए। अंबेडकर का योगदान न केवल भारत के संविधान में बल्कि विश्व के मानवतावादी चिंतन में भी अमिट है।



DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i10c.723

Pages: 209-210 | Views: 60 | Downloads: 6

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How to cite this article:
रोहित कुमार. डॉ. भीमराव अंबेडकर के राजनीतिक चिंतन का स्वतंत्र भारत में योगदान. Int J Political Sci Governance 2025;7(10):209-210. DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i10c.723
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