एक राष्ट्र - एक चुनाव का भारतीय संघवाद पर प्रभाव: एक विश्लेषण
Author(s): पूजा कुमारी, प्रेरणा भादूली
Abstract: भारतीय संविधान के अनुच्छेद-1 में उल्लेखित है कि “भारत राज्यों का संघ” है| आर्थात भारत एक लोकतांत्रिक और संघात्मक राष्ट्र है। संघवाद का मूल विचार है; संविधान के द्वारा केन्द्र एवं राज्यों के बीच शक्तियों का बंटवारा तथा वहाँ पर स्वतंत्र न्यायपालिका की महत्वपूर्ण भूमिका| वर्तमान परिपेक्ष्य में 'एक राष्ट्र-एक चुनाव'का विषय भारतीय राजनीति में एक ज्वलंत मुद्दा बनकर सामने आया है। विश्व में कई ऐसे राज्य हैं, जहाँ 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' की व्यवस्था विद्यमान है, जिसका संयुक्त राज्य अमेरिका स्पष्ट उदाहरण है। अमेरिका मे आजादी के बाद से वहाँ राष्ट्रपति और कांग्रेस के चुनाव एक साथ किये जाते हैं। 'एक राष्ट्र-एक चुनाव' के अंतर्गतराज्य मे होने वाले सभी चुनावों, जिसमें लोकसभा, राज्य की विधानसभाओं और स्थानीय निकाय के सभी चुनाव शामिल होते हैं। प्रस्तुत शोध पत्र में 'एक राष्ट्र- एक चुनाव' से भारतीय संघवाद पर पड़ने वाले सकारात्मक और नकारात्मक प्रभावों की समीक्षा की जाएगी। एक राष्ट्र-एक चुनावको व्यवहार में लागू करने से आने वाली चुनौतियों, जिसमें प्रमुख संवैधानिक संशोधन, राज्यों की स्वायत्ता में कमी, केन्द्र-राज्य संबंध, क्षेत्रीय मुद्दों की प्रासंगिकता, प्रशासनिक व्यवस्था पर प्रभाव, चुनावी खर्च मे कमी आदि मुद्दों की विस्तारपूर्वक जाँच की जाएगी।
पूजा कुमारी, प्रेरणा भादूली. एक राष्ट्र - एक चुनाव का भारतीय संघवाद पर प्रभाव: एक विश्लेषण. Int J Political Sci Governance 2025;7(1):184-190. DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i1c.445