Abstract: प्रस्तुत आलेख के द्वारा प्राचीन हिन्दू कानून संहिता, मनुस्मृति में तृतीय लिंग की अदृश्य अभिव्यक्ति को उजागृत करने का प्रयास किया गया है। यद्यपि विभिन्न प्राचीन ग्रंथों में इनकी उपस्थिति देखी गई है तथापि मनुस्मृति के विशेष संदर्भ में इनकी स्पष्ट और विस्तृत जानकारी का अभाव है। शोध का उद्देश्य मनुस्मृति का गहन अध्ययन कर वर्णनात्मक तथा विश्लेषणात्मक पद्धति के द्वारा मनुस्मृति में निहित तृतीय लिंग की सामाजिक स्थिति एवं भूमिका का सिंहावलोकन करना है। मनुस्मृति तृतीय लिंग की उत्पत्ति, पैतृक संपत्ति में इनके उत्तराधिकार, परिवार व राजा का इनके प्रति कत्र्तव्य आदि विभिन्न चर्चाओं पर प्रकाश डालता है। अतः यह शोध तृतीय लिंग के प्रति मनुस्मृति के दृष्टिकोण को प्रस्तुत करते हुए इनके सामाजिक समावेशन का मार्ग तलाशता है।
स्वीकृति कुमारी. अतीत का अनावरणः मनुस्मृति में तृतीय लिंग आख्यान. Int J Political Sci Governance 2025;7(1):182-183. DOI: 10.33545/26646021.2025.v7.i1c.444