Abstract: भारत के इस लोकतन्त्र में मतदान का बड़ा महत्व है। जनता अपने मत का प्रयोग करके ही अपने प्रतिनिधियों के हाथ में शासन की सत्ता सौंपती है। अतः निर्वाचन के समय मतदान की विशेष भूमिका रहती है। आधुनिक लोकतन्त्र में जब से राजनीतिक दल आए हैं तभी से मतदान और मतदान व्यवहार दोनों ही रोचक प्रसंग बने हुए हैं। सामान्यतः व्यवहार का अर्थ आचरण से लिया जाता है। व्यक्ति जो भी, जैसा भी आचरण करता है, वही उसका व्यवहार कहलाता है। व्यक्ति का यही आचरण जब उसके मतदान संबंधी क्रियाकलापों से जुड़ जाता है तो वह उसका मतदान व्यवहार कहलाता है। कोई व्यक्ति किस प्रत्याशी अथवा दल को मत दे रहा है। क्यों दे रहा है? क्या मतदान के प्रति रुचि है या नही? पूर्व के मतदान और वर्तमान के मतदान में क्या अन्तर? उसके मतदान करते समय, प्रेरक तत्व जैसे उसकी अथवा प्रतयाशी की जाति, धर्म, शिक्षा, योग्यता, लाभ आदि आधारों की पृष्ठभूमि कारकों से ही किसी व्यक्ति का मतदान व्यवहार झलकता है। सामान्यतः चुनावों के बाद मतदान व्यवहार के मूल्यांकन के आधार पर ही बदलाव अथवा परिवर्तन को लेकर कोई सार्थक बात कही जा सकती है। मतदान व्यवहार किसी भी राज व्यवस्था की परिवर्तनशीलता अथवा स्थायित्व को जानने का एक बड़ा साधन है।
मोहन लाल दायमा, बी. एल. सैनी. भारतीय चुनाव परिणाम पर मतदान व्यवहार का प्रभाव. Int J Political Sci Governance 2024;6(2):376-379. DOI: 10.33545/26646021.2024.v6.i2e.421