भारतीय नौकरशाही में संकट: प्रशासन की कमियों और अक्षमताओं का विश्लेषण
Author(s): कुन्दन कुमार, प्रेम शंकर गोंड
Abstract: भारतीय नौकरशाही, शासन का एक प्रमुख स्तंभ है, जो प्रणालीगत अक्षमताओं, संरचनात्मक विसंगतियों और कार्यात्मक कमियों का सामना कर रहा है, जो इसकी प्रभावशीलता को कमज़ोर करने का काम किया हैं। औपनिवेशिक युग की प्रशासनिक प्रथाओं में निहित, यह सत्ता के केंद्रीकरण, भारतीय प्रशासनिक सेवा के प्रभुत्व, नौकरशाही लालफीताशाही, भ्रष्टाचार और जवाबदेही की कमी से जूझ रहा है। अखिल भारतीय सेवाओं और राज्य सिविल सेवाओं के बीच असंतुलन घर्षण पैदा करता है, जिससे शासन में दक्षता सीमित होती है। इसके अतिरिक्त, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम नौकरशाही नियंत्रण, वित्तीय कुप्रबंधन और राजनीतिक हस्तक्षेप से पीड़ित हैं, जिससे उनकी प्रभावशीलता कम हो जाती है। नौकरशाही संरचनाएँ अक्सर विकेंद्रीकरण, भागीदारी और पारदर्शिता के लोकतांत्रिक सिद्धांतों से टकराती हैं, जिससे अभिजात्यवाद, राजनीतिक पूर्वाग्रह और नागरिक अलगाव होता है। सुधार और डिजिटल आधुनिकीकरण का प्रतिरोध अकुशलता को और बढ़ाता है।
यह शोधपत्र भारत में नौकरशाही की कमियों और खामियों की जाँच करता है, संरचनात्मक और कार्यात्मक मुद्दों की खोज करता है जो इसके प्रदर्शन में बाधा डालते हैं।
DOI: 10.33545/26646021.2024.v6.i2b.448Pages: 137-145 | Views: 53 | Downloads: 1Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
कुन्दन कुमार, प्रेम शंकर गोंड.
भारतीय नौकरशाही में संकट: प्रशासन की कमियों और अक्षमताओं का विश्लेषण. Int J Political Sci Governance 2024;6(2):137-145. DOI:
10.33545/26646021.2024.v6.i2b.448