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International Journal of Political Science and Governance
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P-ISSN: 2664-6021, E-ISSN: 2664-603X
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2024, Vol. 6, Issue 2, Part A

भारत में स्वतंत्रता के पश्चात महिला शिक्षा हेतु प्रयास


Author(s): भवानी मल खटीक, बी.एल. सैनी

Abstract: मध्यकालीन भारत को ‘स्त्री युग’ का पतन काल कहा जा सकता है क्योंकि स्त्रियों की दशा की दृष्टि से यह अंध युग था। मध्यकाल में विदेशी आक्रमण हुए उसका परिणाम यह निकला कि महिलाओं की प्रस्थिति का पतन हुआ। विदेशी आक्रमणकारियों में विशेषकर मुसलमान आक्रमणकारी जब भारत आए तब अपने साथ वे अपनी संस्कृति भी लाए। इस काल में महिलाएं मात्र सम्पत्ति ही समझी गई। जिस पर उसके पिता, पति, भाई एवं पुत्र का अधिकार होता था। महिलाओं की स्वयं की न तो कोई इच्छा होती थीं और न ही कोई अधिकार, तब उन्हें पर्दे में रहना होता था। तब उन्हें जन्म लेते ही मार दिया जाता या बचपन में ही उनका विवाह कर दिया जाता था। जैसा कि इस काल में अनेक कुरीतियों का प्रचलन हुआ। जैसे-बालविवाह, सतीप्रथा, पर्दाप्रथा, विधवापुनर्विवाह निषेध आदि। मध्यकालीन भारतीय समाज में मुस्लिम महिलाओं की तुलना में हिन्दू महिलाओं की स्थिति अत्यन्त ही दयनीय थीं। उन्हें किसी भी प्रकार की औपचारिक शिक्षा नहीं दी जाती थीं। उनका जीवन घर की चहारदीवारी तक ही सीमित था। स्वतंत्रता प्राप्ती के पश्चात देश में शिक्षा और विशेषकर महिला शिक्षा पर विशेष बल दिया जाने लगा। इस विषय पर गहन विचार हेतु अनेक समितियों तथा आयोगों की नियुक्ति की गई। शिक्षाविदों ने इनकी सिफारिशों को कार्यरूप देने हेतु महत्वपूर्ण योजनाओं का निर्माण किया। जिस कारण भारतीय महिलाओं की स्थिति में धिरे-धिरे सुधार होने लगा।

DOI: 10.33545/26646021.2024.v6.i2a.422

Pages: 56-59 | Views: 33 | Downloads: 6

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How to cite this article:
भवानी मल खटीक, बी.एल. सैनी. भारत में स्वतंत्रता के पश्चात महिला शिक्षा हेतु प्रयास. Int J Political Sci Governance 2024;6(2):56-59. DOI: 10.33545/26646021.2024.v6.i2a.422
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