विश्वकरण की अवधारणा व जन्म मुख्यतया पश्चिमी देशों मंे हुआ है जिन्हें विश्वीकरण को लोकप्रिय बनाने का श्रेय भीइन्हें दिया जाता है। इस अवधारणा में पूरे विश्व को एक परिवार के समान मानने की कोशिश की गई है। उदारवाद आर्थिक क्षेत्र में मुक्त व्यापार एवं लाइसेंस की समाप्ति चाहता है, सामाजिक जीवन में खुलापन या मनमानेपन की छूट देता है तथानैतिकता-अनैतिकता सम्बन्धी मान्यताओं को खास महत्त्व नहीं देता। राजनीतिक क्षेत्रा में सत्ता को अपने पक्ष में करना चाहताहै और निजीकरण का राजनीतिक स्तर पर बढ़ावा दिलाता है। वास्तव में उदारीकरण का मुख्य उद्देश्य तो मानवीय जीवन केसभी पक्ष को प्रभावित करना है। इन सबके होते हुए इसके आलोचकों ने साम्राज्यवाद का एक नया माध्यम बताया है। कई ंविद्वान् विष्वकरण के समर्थक माने जाते हैं। इस संदर्भ में कुछ एक महत्वचूर्ण पुस्तक है जैसे- एंड आॅफ ग्लोबलाजेषन,एंड आॅफ सिविलाइजेषन आदि।