पंचायती राज की अवधारणाः सामान्य अवलोकन
Author(s): मनीष कुमार सैनी
Abstract: लोकतांत्रिक विकेन्द्रीकरण अर्थात् आम जनता का सत्ता में साझीदार निर्णय नीति से लेकर उपभोग तक बनने की व्यवस्था का नाम स्वशासन अथवा दूसरे शब्दों में पंचायती राज व्यवस्था है। विकेन्द्रीकरण को साकार बनाने का सर्वाेतम ही नहीं अपितु एक मात्र साधन पंचायतीराज शासन व्यवस्था है, अर्थात् यह विकास विकेन्द्रीकरण व परिपक्व प्रजातंत्र का एक मात्र साधन है। लोकतंत्र मानव गरिमा, व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं समानता, राजनीतिक निर्णयों में जन भागीदारी के कारण शासन का श्रेष्ठतम रूप माना जाता है। लोकतंत्र का आधार शासन में जन सहभागिता के साथ ही स्थान एवं शक्तियों का निम्न स्तर तक विकेन्द्रीकरण है, उसी भावना का साकार स्वरूप पंचायती राज व्यवस्था है। प्रस्तुत शोध आलेख में स्थानीय स्वशासन के स्वरूप को स्पष्ट करने हेतु देश की अतीत से चली आ रही ऐतिहासिक शासन व्यवस्था व स्वतंत्रता के पश्चात् तथा 73वां संविधान संशोधन के सांगठनिक प्रक्रियागत, विकेन्द्रीकरण के विशेष संदर्भ को चुना गया है।
Pages: 287-290 | Views: 94 | Downloads: 6Download Full Article: Click Here
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मनीष कुमार सैनी. पंचायती राज की अवधारणाः सामान्य अवलोकन. Int J Political Sci Governance 2024;6(1):287-290.