भारतीय राजनीति में समान नागरिकता संहिता पर वर्तमान समय में एक नई बहस आरम्भ हो गई है। भारत की आजादी के समय से समान नागरिक संहिता का प्रश्न विवाद का विषय रहा है और केन्द्रीय कानून मंत्रालय के हस्तक्षेप से भारतीय गणतंत्र के समक्ष यह मुद्दा पुनः केन्द्रीय विमर्श का प्रश्न बन गया है। वर्ष 2018 में 21वें विधि आयोग ने इस संबंध में स्पष्ट कहा था कि समाज नागरिकता संहिता (UCC) न तो आवश्यक है, न ही वांछनीय। लेकिन 22 वें भारतीय विधि आयोग ने 14 जून 2023 को देश में समान नागरिकता सहिता (यूसीसी) पर सभी संबंधित पक्षों, आम लोगों और धार्मिक संगठनों से राय मांगनें के लिए अधिसूचना जारी की है।
प्रस्तुत शोध पत्र में समान नागरिकता संहिता के विभिन्न आयामों की गहराई से पड़ताल करने का प्रयास किया गया है और समान नागरिकता संहिता के देश की राजनीति समाज पर और पड़ने वाले प्रभाव को रेखांकित करने का प्रयास किया गया है।
डॉ. अनुपम चतुर्वेदी. भारत में समान नागरिकता संहिताः एक विश्लेषण. Int J Political Sci Governance 2024;6(1):03-04. DOI: 10.33545/26646021.2024.v6.i1a.291