पंचायतीराज में महिलाओं की भूमिका
Author(s): डाॅ. सुमन शेखावत
Abstract: ‘‘मानव ईश्वर की सर्वोत्तम रचना है और मानव समाज की यह विकास श्रृंखला स्त्री और पुरूष रूपी संसार सागर के उतार चढावों से गुजरती रही है। आज की दुनियाँ में पुरूषों के साथ-साथ महिलायें भी निश्चित रूप से जागरूक हुई है और अपनी पृथक पहचान हासिल करने में सफल हो रही है। महिलाओं की इस पृथक पहचान में पंचायतीराज-व्यवस्था का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पंचायतीराज संस्थाओं में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने से भी परिणाम सकारात्मक आये है तथा महिलाओं की स्थिति पहले की अपेक्षा सुदृढ़ बन पाई है। हमारे संविधान में इस बात की गारन्टी भी दी गई है कि सार्वजनिक नियुक्तियों में पुरूष एवं स्त्रियों बीच समानता बरती जायेगी तथा प्रत्येक नागरिक का यह भूतपूर्व कत्र्तव्य बताया गया है कि वह महिलाओं की गरिमा के प्रतिकूल पद्वतियों का त्याग करें। संविधान में उल्लेखित प्रावधानों से कुछ हद तक पुरूषों की संकीर्ण मानसिकता में परिवर्तन आया है तथा महिला शिक्षा, लैगिंक समानता जैसे विषयों के क्रियान्वयन की प्राथमिकता को स्वीकार किया जाने लगा है और महिलाओं में नवीन चेतना, नया सामथ्र्य एवं आत्मविश्वास बढा़ है तथा महिला सशक्तीकरण की प्रक्रिया मजबूत हुई है।
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How to cite this article:
डाॅ. सुमन शेखावत. पंचायतीराज में महिलाओं की भूमिका. Int J Political Sci Governance 2023;5(2):257-258.