Email: politicalscience.article@gmail.com
International Journal of Political Science and Governance
  • Printed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal
P-ISSN: 2664-6021, E-ISSN: 2664-603X
Printed Journal   |   Refereed Journal   |   Peer Reviewed Journal
Journal is inviting manuscripts for its coming issue. Contact us for more details.

2023, Vol. 5, Issue 1, Part C

बिहार के कोसी और सीमांचल क्षेत्र से होने वाले पलायन को रोकने में जीविका दीदी का योगदान : सम्भावनाएँ और चुनौतियाँ


Author(s): चन्द्रा सत्या प्रकाश

Abstract:
कोसी और सीमांचल क्षेत्र में दस से अधिक जिला शामिल है। कोसी और सीमांचल क्षेत्र के कई जिला नेपाल की सीमा को स्पर्श करता है। भौगोलिक रूप से यह क्षेत्र नेपाल की तराई में अवस्थित है। कोसी, महानंदा और उसकी सहायक नदियों के द्वारा इस क्षेत्र में प्रतिवर्ष बाढ़ का पानी आता है। इन नदियों में आने वाले बाढ़ के कारण इस क्षेत्र में साल का लगभग छह महीने तक किसी तरह का कृषि कार्य नहीं हो पाता है। इस तरह से बाढ़ का दोहरा प्रभाव पड़ता है। एक तरफ कृषि कार्य में रुकावट के कारण कृषक मज़दूरों और किसानों को आर्थिक नुक़सान उठाना पड़ता है। दूसरी तरफ कृषि कार्य में पहले से मौजूद प्रच्छन्न बेरोजगारी के कारण स्थिति और भी भयावह हो जाती है। इस दोहरे प्रभाव के कारण कोसी और सीमांचल क्षेत्र से लोगों का पलायन बढ़ गया है। बिहार सरकार ने लोगों के पलायन को रोकने के लिए स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए कई योजनाएँ चलायी है। इस संदर्भ में बिहार सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वालंबन बनाने के लिए, रोजगार उपलब्ध करवाने के लिए एवं उनके आय को बढ़ाने के लिए जीविका योजना का क्रियान्वयन किया है। जीविका योजना के माध्यम से बिहार की ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक रूप से सबल बनाया गया है। जीविका दीदी के नाम से प्रसिद्ध आर्थिक स्वालम्बी महिलाओं नेकोसी और सीमांचल क्षेत्र से पलायन की रफ़्तार को कम किया है। इस शोध लेखन में कोसी और सीमांचल क्षेत्र से पलायन की समस्या का विश्लेषण किया जाएगा।
‘जीविका’ के नाम से मशहूर बिहार ग्रामीण आजीविका प्रोत्साहन समिति बिहार ग्रामीण विकास विभाग के तत्वधान में निबंधित संस्था है। बिहार में वर्ष 2007 में मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार ने इस योजना को प्रारम्भ किया था। वर्तमान में यह योजना बिहार के सभी 38 जिलों में चल रहा है। बिहार में वर्ष 2022 तक जीविका दीदियों की संख्या करीब सवा करोड़ अधिक है।
स्वयं सहायता समूह की जीविका दीदियों ने बिहार सहित पूरे देश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक नई आर्थिक और सामाजिक क्रांति की है। जब किसी परिवार से कोई महिला स्वयं सहायता समूह से जुड़ती है तो उस पूरे परिवार की आर्थिक उन्नति शुरू हो जाती है। इसी तरह एक स्वयं सहायता समूह के कारण पूरे गाँव में आर्थिक गतिविधियाँ तेज़ हो जाती है। इस क्रियाकलाप के कारण बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मज़बूती मिला है।
यह संस्था बिहार के ग्रामीण विकास में मुख्य भूमिका निभाती है। इस योजना का मुख्य उदेश्य महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वालंबन बनाना है। बिहार के ग्रामीण विकास के सुदृढ़ीकरण में यह बिहार ग्रामीण आजीविका प्रोत्साहन समिति नामक संस्था मुख्य भूमिका निभा रही है। बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुद्दृढ करने, रोजगार उपलब्ध करवाने, आय को बढ़ाने, महिलाओं को स्वालंबन बनाने में इस संस्था ने महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। इस संस्था के तहत 10-12 महिलाओं का एक स्वयं सहायता समूह बनाया जाता है। फिर इस समूह को रोज़गार उपलब्ध करवाने के लिए उनके द्वारा की गई बचत और राज्य सरकार द्वारा दिया गया अनुदान के आधार पर ऋण दिया जाता है। राज्य सरकार इस संस्था के सदस्यों को दी जाने वाली ऋण का गारंटी लेता है। कोविड-19 लॉकडाउन के बाद से राज्य सरकार ने इनके आर्थिक गतिविधि का दायरा बढ़ा दिया है। दीदी की रसोई, विद्या दीदी, कृषक दीदी, पशुपालक दीदी इत्यादि के रूप में जीविका दीदी ने बिहार की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुद्दृढ किया है। इस शोध लेखन में कोसी और सीमांचल क्षेत्र से होने वाले पलायन को रोकने में जीविका दीदी के योगदान को रेखांकित किया जाएगा।


DOI: 10.33545/26646021.2023.v5.i1c.223

Pages: 198-207 | Views: 351 | Downloads: 7

Download Full Article: Click Here

International Journal of Political Science and Governance
How to cite this article:
चन्द्रा सत्या प्रकाश. बिहार के कोसी और सीमांचल क्षेत्र से होने वाले पलायन को रोकने में जीविका दीदी का योगदान : सम्भावनाएँ और चुनौतियाँ. Int J Political Sci Governance 2023;5(1):198-207. DOI: 10.33545/26646021.2023.v5.i1c.223
International Journal of Political Science and Governance

International Journal of Political Science and Governance

International Journal of Political Science and Governance
Call for book chapter