नक्सलवाद: देष की आंतरिक सुरक्षा को चुनौति
Author(s): विशाखा सिंह नेहा
Abstract: 1967 में पष्चिम बंगाल के गांव नक्सलबाडी में जमीदारों के खिलाफ अथियारबन्द आन्दोलन चलाया गया था। भारतीय कम्यूनिष्ट पार्टी से अलग हुये एक धडे ने नक्सल मूवमेंट के जनक माने जाने वाले चोरू मजूमदार के नेतृत्व में यह संघर्ष चलाया था। 1970 के दषक में किसानो की दषा कमजोर, दयनीय, बाल मजदूरी की अधिकता, बेरोजगारी में वृद्धि सामन्ती के अत्याचार की बढती प्रवृति भ्रष्टाचार एवं असमानता के ख्लिाफ इस आन्दोलन में लोग एकजुट हुये जो वर्तमान में साम्यवादी सरकारी की स्थापना तथा असमानता के खिलाफ संघर्ष के लये प्रयासरत है।
सर्वे के अनुसार भारत के 1 प्रतिषत लोगो के पास 73 प्रतिषत पैसा है जो की आय का अत्यधिक असमानता को प्रदर्षित करता है। सरकार के अनुसार अब नक्सलवाद देष के 11 राज्यो एवं 90 जिलो में फैला हुआ है। जो केवल 30 जिलो में अतिप्रभावी है। देष के जिन राज्यो में नक्सली हिंसा तीव्र उभार पर है छत्तीसगढ, बिहार, झारखण्ड, उत्तरप्रदेष, आंध्रप्रदेष और उडीसा । आम धारणा यही है कि इन राज्यो में नक्सलवाद उभार की वजह इनका अविकसित होना है । वर्तमान समय में सिर्फ गरीबी व पिछडेपन को जिम्मेदार नही ठहराया जा सकता है यह एक विचाराधारा है जिसे बाह्य समर्थन भी प्राप्त है। नक्सली आन्दोलन को राष्ट्र के लिये कभी भी चुनौती नही माना गया जबकि सर्वे के मुताबिक 2009 से 2021 तक नक्सली हमलो की संख्या तथा उनमें मारे गये नागरिको व सैनिको की संख्या जम्मू कष्मीर में हुये आंतकी हमलो की संख्या से अधिक है।
वष्र 2012 में डाॅ0 मनमोहन सिंह ने नक्सलवाद की देष की आंतरिक सुरक्षा की सबसे बडा खतरा बताया तथा नक्सलवाद के खिलाफ ‘जीरो टोलरेंस‘ की नीति अपनाने पर बल दिया। ऐसे में नक्सली आन्दोलन के खिलाफ लडाई आतंकवाद के खिलाफ अभियान से कही अधिक मुष्किल, दुरूह व चुनौतिपूर्ण है।
DOI: 10.33545/26646021.2022.v4.i1b.152Pages: 149-151 | Views: 262 | Downloads: 9Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
विशाखा सिंह नेहा.
नक्सलवाद: देष की आंतरिक सुरक्षा को चुनौति. Int J Political Sci Governance 2022;4(1):149-151. DOI:
10.33545/26646021.2022.v4.i1b.152