Email: politicalscience.article@gmail.com
International Journal of Political Science and Governance
  • Printed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal
P-ISSN: 2664-6021, E-ISSN: 2664-603X, Impact Factor: RJIF 5.32
Printed Journal   |   Refereed Journal   |   Peer Reviewed Journal
Journal is inviting manuscripts for its coming issue. Contact us for more details.

2022, Vol. 4, Issue 1, Part A

नगरिकता संशोधन कानून 2019-पृश्ठभूमि, विरोध एवं वास्तविकता


Author(s): प्रदीप कुमार

Abstract: देश को उसका सबसे पवित्र ग्रन्थ अर्थात ‘‘संविधान‘‘ को समर्पित करते हुए उसके निर्माता बाबा भीमराव अम्बेडकर ने कहा था कि यह एक ऐसी किताब है जो युद्धकाल में भी देश की रक्षा करेगी और शान्ति काल के लिए प्रासंगिक होगी। सात दशक हो गए देश में संविधान को लागू हुए। बडी - बडी संवैधानिक जटिलताएं खडी हुई। लोकतान्त्रिक मूल्य संकट में नजर आए। प्राकृतिक आपदाएं आई। पडौसी देशों से जंग हुई। आपातकाल का काला अध्याय भी देखा। मगर सविंधान अक्षुष्ण रहा। अपने नियमों - उपबन्धों के कवच से देश को हर प्रतिकूल हालात से उबारता रहा। कोई भी सरकार कितने ही प्रचण्ड बहुमत से क्यों न आई हो, मजाल की उसने इसके मूल स्वरूप या आत्मा से छेडछाड करने की जुर्रत की हो। हर बीते दिन के साथ यह किताब लोकतन्त्र को और मजबूत करने के साथ पुष्पित - पल्लवित करती रही। किसी से विवाद होने की स्थिति में आज भी हम उसे ‘‘कोर्ट‘‘ में देख लेने की बात कहते हैं। ये वही कोर्ट है जो हर चीज का संवैधानिक दायरा तय करता है। उसके हर फैसले में आधार संविधान ही होता है। हाल ही में देश में एक विमर्श तेजी से उभर रहा है कि सरकार अनुच्छेद 370, 35। A, तीन तलाक व हाल ही में CAA (नागरिकता संसोधन कानून) ने या न होने को तय करने के लाकर संविधान की मूल आत्मा से छेडछाड कर रही है। उसके स्वरूप को खत्म कर रही है। न्यायपालिका इन आरोपों के संविधान सम्मत होने या न होने को तय करने के लिए बैठी है। हम भारत के नागरिक हैं। हमें अपने संविधान पर पूरा भरोसा है। उससे छेडछाड किए जाने की कोई आशंका हमारे मन में नहीं उपज सकती। क्योंकि पिछले 70 साल से हम सविंधान को जीते आए हैं और हर उस आशंका को उसने निर्मूल साबित किया है जो हम लोंगो के दिलोदिमाग में बसने को आतुर थी। ऐसे में जब भारत अपना 71 वाँ गणतन्त्र दिवस मना रहा हो तो भारतीय संविधान की पवित्रता और देश को विविधता के साथ एकता के सूत्र में जोडे रखने वाले उसके महात्म्य की पडताल आज बडा मुद्दा है।

DOI: 10.33545/26646021.2022.v4.i1a.130

Pages: 20-22 | Views: 387 | Downloads: 17

Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
प्रदीप कुमार. नगरिकता संशोधन कानून 2019-पृश्ठभूमि, विरोध एवं वास्तविकता. Int J Political Sci Governance 2022;4(1):20-22. DOI: 10.33545/26646021.2022.v4.i1a.130
International Journal of Political Science and Governance

International Journal of Political Science and Governance

International Journal of Political Science and Governance
Call for book chapter