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International Journal of Political Science and Governance
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P-ISSN: 2664-6021, E-ISSN: 2664-603X, Impact Factor: RJIF 5.32
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2021, Vol. 3, Issue 2, Part C

भारत में संघवाद का समकालीन स्वरूप


Author(s): नीरज मीना

Abstract: भारत में संघीय व्यवस्था का उद्देश्य पृथक-पृथक इकाईयों को संयुक्त करना है। केन्द्र-राज्यों के मध्य समय-समय पर विभिन्न मुद्दे उभरते रहे हैं। योजना आयोग के स्थान पर नीति आयोग की स्थापना करके केन्द्रीकृत नियोजन की परम्परा को विकेन्द्रीकृत करने का प्रयास किया है। एक दशक पश्चात् अन्तर्राज्यीय परिषद की बैठक होने से केन्द्र -राज्य सम्बन्धों का प्रभावी मंच सिद्ध हो रहा है। जीएसटी काउंसिल में सभी राज्यों की सक्रिय भागीदारी परिलक्षित हो रही है। भारतीय संघीय प्रणाली के समीक्षा हेतु भी अनेक आयोगों में प्रमुख सिफारिशें दी हैं। इन प्रवृत्तियों के अतिरिक्त विदेश नीति, हरित संघवाद, सहकारी संघवाद, एकदलीय उभार की आहट आदि भारतीय संघीय व्यवस्था की नवीन प्रवृत्तियाँ है। गठबंधन सरकारों के दौर में राष्ट्रपति शासन लगाने की प्रवृत्तियों में कमी आई है। अनु. 370, दिल्ली में उप-राज्यपाल, मुख्यमंत्री का क्षेत्राधिकार, राज्यों के मध्य नदी जल विवाद में भी सहयोगी प्रवृत्तियाँ आने लगी है। भारतीय संघवाद में वर्तमान में केन्द्र-राज्यों के मध्य निरंतर संवाद की प्रकृति दिखाई देने लगी है, जिससे राज्यों में भी विकासात्मक कार्यों में तेजी हुई। भारतीय संघवाद में एकात्मक लक्षण - सशक्त केन्द्र, एकीकृत न्याय व्यवस्था, एकल संविधान-नागरिकता आदि के प्रावधान भी हैं। समकालीन रूप में भारतीय संविधान विकासशील संघवाद की ओर प्रवृत्त होता जा रहा है।

Pages: 162-163 | Views: 117 | Downloads: 6

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How to cite this article:
नीरज मीना. भारत में संघवाद का समकालीन स्वरूप. Int J Political Sci Governance 2021;3(2):162-163.
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