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International Journal of Political Science and Governance
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P-ISSN: 2664-6021, E-ISSN: 2664-603X
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2021, Vol. 3, Issue 2, Part B

पारिस्थितिकी संरक्षण के संदर्भ में उपभोक्तावाद की गांधीवादी आलोचना


Author(s): अनिल कुमार

Abstract: उपभोक्तावाद में जीवन को भी वस्तु की तरह अधिकतम उपभोग योग्य माना जाने लगा है। उपभोग प्रधान आधुनिक संस्कृति मनुष्य के लालच को बढ़ाती है और पारिस्थितिकी क्षरण का कारण बनती है। गांधी के अनुसार ईच्छाओं के त्याग द्वारा स्वार्थ से मुक्ति प्राप्त होती है और अतंतः मनुष्य शांति की स्थिति को प्राप्त करता है। अस्तेय, अपरिग्रह तथा सादा जीवन प्रणाली उपभोक्तावादी संस्कृति के उपाय स्वरूप देखे जा सकते है। व्यक्ति को स्थितिप्रज्ञ होकर अपनी इच्छाओं पर लगाम लगानी चाहिए ताकि अगली पीढ़ि को एक स्वस्थ पर्यावरण की विरासत सौंपी जा सके। गांधी के अनुसार सुखी जीवन का रहस्य त्याग में है, भोग में नहीं।

DOI: 10.33545/26646021.2021.v3.i2b.123

Pages: 114-117 | Views: 565 | Downloads: 9

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How to cite this article:
अनिल कुमार. पारिस्थितिकी संरक्षण के संदर्भ में उपभोक्तावाद की गांधीवादी आलोचना. Int J Political Sci Governance 2021;3(2):114-117. DOI: 10.33545/26646021.2021.v3.i2b.123
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