तेलंगाना राज्य के निर्माण में तेलंगाना राष्ट्र समिति का योगदान और इसका राजनीतिक भविष्य
Author(s): डाॅ. पूनम अग्रवाल
Abstract: नवीन राज्यों का निर्माण एक सहज और सतत प्रक्रिया है, जो लगभग हर देष के इतिहास का भाग है। भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद के समय को राज्यों के गठन के लिए विषिष्ट माना जाता है क्योंकि देष पुनर्गठन के एक भीषण चक्रव्यूह में फँस गया था जिसमें देष के लगभग प्रत्येक भाग से नवीन राज्य की माँग सिर उठा रही थी। तत्कालीन गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की राजनीतिक और कूटनीतिक समझ ने इस दुरुह कार्य को लगभग सरल बना दिया था। राज्यों के अंतिम पुनर्गठन के पश्चात भी इन माँगों को पूरी तरह से नकारना संभव नहीं हुआ है और तेलंगाना इसी कड़ी में नवीन राज्य के रूप में जुड़ गया है। तेलंगाना के राज्य बनने की प्रक्रिया में तेलंगाना राष्ट्र समिति राजनीतिक दल की भूमिका को लगभग शतप्रतिषत माना जाता है क्योंकि इस दल के निर्माण का प्रथम और अंतिम उद्देष्य तेलंगाना का निर्माण ही था। सही समय पर लिए गए राजनीतिक निर्णयों ने इस दल को हाषिए से केन्द्र में ला दिया। के. चन्द्रषेखर राव के लगातार समर्थन बदलने के माध्यम से केन्द्र पर दबाव की रणनीति ने इस कार्य को सफल बना दिया। तेलंगाना के निर्माण के बाद भी तेलंगाना राष्ट्र समिति के संस्थापक के. चन्द्रषेखर राव की बुद्धिमतापूर्ण राजनीति और निरन्तर लोकलुभावन नीतियों ने इस दल को प्रासंगिक बनाए रखा है।
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डाॅ. पूनम अग्रवाल. तेलंगाना राज्य के निर्माण में तेलंगाना राष्ट्र समिति का योगदान और इसका राजनीतिक भविष्य. Int J Political Sci Governance 2021;3(2):19-22.