समकालीन भारत में वंशवाद का इतिहास: एक राजनीतिक विश्लेषण
Author(s): सरोज कुमार
Abstract: भारतीय राजनीति से वंशवाद का अंत होता नहीं दिख रहा है। साल 1952 के बाद से लेकर वंशवाद जारी है और इसके अभी खत्म होने की संभावना भी नहीं दिख रही है। ये देखने में आया है कि जिस परिवार से कोई एक बड़ा नेता हो गया है वो अपने परिवार के अन्य सदस्यों को भी इसी में खींच लेता है जिसके कारण राजनीति को वंशवाद और परिवारवाद से निजात नहीं मिल पा रही है। हर राज्य में जिस परिवार का कोई बड़ा नेता है वहां उस परिवार के बाकी सदस्यों को विरासत में राजनीति मिल जाती है। सबसे अधिक समय तक विरासत की राजनीति गांधी और नेहरू परिवार की मानी जाती है। उसके बाद अन्य परिवार राजनीति में इसी को आगे बढ़ा रहे हैं। इस आलेख में समकालीन भारत में वंशवाद के इतिहास का राजनीतिक विश्लेषण प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है।
सरोज कुमार. समकालीन भारत में वंशवाद का इतिहास: एक राजनीतिक विश्लेषण. Int J Political Sci Governance 2021;3(1):29-31. DOI: 10.33545/26646021.2021.v3.i1a.82