भारत की विदेश नीतिः 21वीं शताब्दी में बदलते वैश्विक परिदृश्य में परिवर्तन की ओर अग्रसर
Author(s): डाॅ. गणेशा राम
Abstract: 21वीं शताब्दी में बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत की विदेश नीति में काफी परिवर्तन हुआ है। श्री अटल बिहारी वाजपेयी के अंतिम कार्यकाल से लेकर डाॅ. मनमोहन सिंह तथा वर्तमान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी तक भारत की विदेश नीति काफी परिवर्तन के दौर से गुजरी है। वर्तमान भारत की विदेश नीति राष्ट्रीय संप्रभुता की रक्षा करते हुए बेझिझक निर्णय लेती है। अब विश्व पटल पर भारत एक आर्थिक और सैनिक दृष्टि से उभरती हुई महाशक्ति के रूप में दिखाई पड़ता है। वर्तमान में वैश्विक संदर्भ में कोई भी निर्णय हो तो उसमें भारत की भागीदारी अपना महत्वपूर्ण योगदान रखती है। वर्तमान में भारत अपनी विदेश नीति के संबंध में महत्वपूर्ण कठोर निर्णय लेने में कोई संकोच नहीं करता है। भारत वर्तमान में अपनी दशकों पुरानी सुरक्षात्मक नीति को बदलते हुए अब अधिक स्पष्ट एवं आक्रामक नीति की ओर अग्रसर हो रहा है तथा विश्व पटल पर अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में अपनी महत्वपूर्ण भागीदारी निभा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संघ या अंतर्राष्ट्रीय संगठनों, इन सभी में भारत की विदेश नीति अपना महत्वपूर्ण स्थान रखती है। वर्तमान भारतीय विदेश नीति भारत को विश्व गुरु का दर्जा वापस दिलाने करने की तरफ पूरी मजबूती के साथ आगे बढ़ रही है।
डाॅ. गणेशा राम. भारत की विदेश नीतिः 21वीं शताब्दी में बदलते वैश्विक परिदृश्य में परिवर्तन की ओर अग्रसर. Int J Political Sci Governance 2020;2(2):129-133. DOI: 10.33545/26646021.2020.v2.i2c.68