Abstract: परिवार की संयुक्तता अर्थात् सह-निवासी व सह-भोजी नातेदारी समूह अदृश्य नहीं हो रही है और स्थिति की कल्पना भी नहीं की जा सकती है जब कि भारत के लोगों के मस्तिष्क में संयुक्त परिवार की धारणा पूर्णतः विलुप्त हो जायेगी। केवल संयुक्तता की संबंध विच्छेदन प्रवृति में बदलाव आ रहा है। विस्तृत संयुक्त परिवार की अपेक्षा अब छोटे क्षेत्र में कार्य करने वाले दो-तीन पीढ़ियों तक का ही परिवार होगा। साथ ही अधिकांशः ऐसे एकाकी परिवार जिनमें एक व्यक्ति, उसकी पत्नी और अविवाहित बच्चे अलग रहते हैं, प्रकार्य की दृष्टि से अपने प्राथमिक नातेदारों के साथ (जैसे भाई, पिता आदि) संयुक्त बने रहेंगे।