विनोबा भावे की दृष्टि में: जीवन और शिक्षण
Author(s): डाॅ. प्रतिमा कुमारी
Abstract: विनोबाजी ने धर्म को आध्यात्म से अलग माना। वे आध्यात्म को व्यावहारिक व निरपेक्ष मानते थे। उनका विचार था कि- ‘विज्ञान के युग में धर्म नहीं टिकेगा, परन्तु आध्यात्मिकता जरूर टिकेगी।’ उन्होंने आध्यात्मिकता को मानवता से जोड़ा। विनोबाजी का सर्वोदय दर्शन गांधीजी के सिद्धान्तों पर आधारित था। सर्वोदय का शाब्दिक अर्थ-सबका उदय, सभी व्यक्तियों का विकास है। शिक्षण कर्तव्य का, कर्म का आनुषंगिक फल है। जो कोई कर्तव्य करता है, उसे जाने-अनजाने यह मिलता है। मानवों को भी यह उसी तरह मिलना चाहिए। औरों को यह ठोकरें खा-खाकर मिलता है।
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डाॅ. प्रतिमा कुमारी. विनोबा भावे की दृष्टि में: जीवन और शिक्षण. Int J Political Sci Governance 2020;2(2):89-91.