पंचायत राज व्यवस्था के द्वारा सामाजिक परिवर्तन लाना भारत के योजनाकारों की एक अवष्यम्भावी प्रयास है इसके साथ ही पंचायत राज, सामाजिक समता और न्याय, बन्धुत्व एवं आर्थिक विकास और व्यक्ति की प्रतिष्ठा पर आधारित ग्रामीण जीवन को नया रूप देने का एक सामूहिक प्रयास है।
विष्व की वृहदतम लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था भार की प्रमुख विषेषता है। लोकतंत्र मूलतः विकेन्द्रीकरण पर आधारित शासन व्यवस्था होती है। शासन के ऊपरी स्तरों (केन्द्र एवं राज्य) पर कोई भी लोकतंख् तब तक सफल नहीं हो सकता जब तक कि निचले स्तर पर लोकतांत्रिक मान्यताऐं एवं मूल्य शक्तिषाली न हो। यदि लोकतंत्र का अर्थ जनता की समस्याऐं एवं उनके समाधान की प्रक्रिया में जनता की पूर्ण तथा प्रत्यक्ष भागीदारी हो तो प्रत्यक्ष, स्पष्ट एवं विषिष्ट लोकतंत्र का प्रमाण उतना सटीक अन्यत्र देखने को नही मिलेगा। पंचायत राज व्यवस्था प्रत्यक्ष लोकतंत्र का आधुनिक रूपान्तरण है।