Abstract: आज बिहार में दलित वर्ग के सामाजिक स्तरों में समानता लाने की तलाश में जारी है। 1990 के बाद जब लालू प्रसाद बिहार के मुख्यमंत्री बने तब दलितों की स्थिति में अपेक्षित सुधर हुआ। संसद एवं विधनसभा में दलितों की संख्या में उत्तरोतर वृद्धि हुई। जहाँ तक 1970 से लेकर 1990 के बीच दलितों की स्थिति में कापफी सुधर हुआ। नीतिश कुमार की सरकार 2005 में बनी तब से उनके द्वारा महादलित आयोग का गठन, विकास मित्रा की बहाली, पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं, दलितों, अतिपिछड़ों, पिछड़ों को आरक्षण देकर उनकी आवाज को आगे बढ़ाने का कार्य किया है। बिहार में दलितोत्थान के प्रयास में बाबा साहेब अम्बेडकर का भी अभीष्ट प्रभाव पड़ा। अखिल भारतीय परिगणित जाति संघ के अध्यक्ष के रूप में अम्बेडकर ने पहली बार 1957 ई0 में बिहार का दौरा किया था। 6 नवम्बर को वे पटना पहुँचे। उनके साथ उनकी पत्नी सविता अम्बेदकर एवं परिगणित जाति संघ के महामंत्राी पी.एन. राजभोज भी थे। पटना गाँधी मैदान में उनका भव्य स्वागत हुआ। विशाल जनसभा को सम्बोधित करते हुए उन्होंने कहा - ‘‘मुझे इस बात से खुशी है कि महात्मा बुद्ध की पवित्रा भूमि पर सामाजिक क्रांति का बीज पिफर से अंकुरित हो गया है।
डाॅ॰ राजबली पासवान. वर्तमान बिहार की राजनीति में दलित और महादलित. Int J Political Sci Governance 2020;2(2):22-24. DOI: 10.33545/26646021.2020.v2.i2a.50