Abstract: सामाजिक न्याय की अवधारणा एक व्यापक अवधारणा हैं। हमारे लोकतांत्रिक समाज में इसका अर्थ और भी व्यापक हो जाता है क्याोंकि स्वतंत्रता और समानता लोकतंत्र के दो प्रमुख आधार स्तम्भ हैं जिन पर सामाजिक न्याय विचार टिका हुआ है। डाॅ0 अम्बेडकर की वह चेतावनी हमें याद करनी होगी जो उन्होंने संविधान सभा में दी थी कि देश का उत्थान तभी सम्भव है जब सारे देशवासी कन्धे से कन्धा मिलाकर बराबर चलें और आगे बढ़ें। भारत में पहले भी अपनी आजादी को अपने लोगों की धोखाधड़ी, देशद्रोह और आपसी फूट से खोया था और आज भी हमारा समाज एक ऐसे मार्ग पर निरन्तर गतिशील है जो हमें ऐतिहासिक घटनाओं की याद दिलाता है। कि यदि हम परस्पर सहयोग बन्धुत्व एवं आपसी सम्मान को भुलाकर सामाजिक विखण्डन पर आगे बढ़ेंगे तो वह दिन दूर नहीं जब हम पुनः उसी पराधीनता की जंजीरों में जकड़ जायेंगे। प्रस्तुत शोध-पत्र में डाॅ0 अम्बेडकर के सामाजिक न्याय से सम्बन्धित विचारों का विश्लेषण किया गया है।
डाॅ0 अरुण कुमार वर्मा. डाॅ0 भीमराव अम्बेडकर के चिन्तन में सामाजिक न्याय. Int J Political Sci Governance 2019;1(1):18-20. DOI: 10.33545/26646021.2019.v1.i1a.9