Email: politicalscience.article@gmail.com
International Journal of Political Science and Governance
  • Printed Journal
  • Refereed Journal
  • Peer Reviewed Journal
P-ISSN: 2664-6021, E-ISSN: 2664-603X, Impact Factor: RJIF 5.32
Printed Journal   |   Refereed Journal   |   Peer Reviewed Journal
Journal is inviting manuscripts for its coming issue. Contact us for more details.

2019, Vol. 1, Issue 2, Part A

मानवाधिकार एवं मानवीय वेदना के समक्ष चुनौतियाॅ


Author(s): प्रतिमा सिंह

Abstract: मानवाधिकार की अवधारणा उतनी ही पुरानी है जितना कि मानव इतिहास। मनुष्य के गरिमामय जीवन की रक्षा हेतु कुछ मूलभूत अधिकारों की आवश्यकता होती है, वेे अधिकार ही मानवाधिकार हैं। बीसवीं सदी में लोकतांत्रिक व्यवस्था के विकास के साथ-साथ मानवाधिकारों के प्रति सतर्कता, जागरूकताएवं अधिकारों की लोकप्रियता अधिक विस्तृत हुई है। ये अधिकार सार्वभौमिक हैं, जिन्हें किसी भी परिस्थितियों में राज्य द्वारा उपेक्षित नहीं किया जा सकता। साथ ही ये अधिकार धर्म, जाति, लिंग, रंग आदि से परे हैं। साथ ही ये अधिकार समाज के आश्रित वर्गों विशेषतया बच्चों, महिलाओं, वृद्धों, दिव्यांग जनों आदि की स्थिति में अधिक महत्वपूर्ण हो जाते हैं। 20वीं के राजनीतिक संदर्भ में जहाॅ नवीन परिवर्तन हुए वहीं मानवाधिकारों के आदर्श व सिद्धांतों को लेकर मतभेद भी उभर कर आये। मानवाधिकारों का सार्वभौमिक घोषणा के रूप में विकास अर्थात् संयुक्त राष्ट्र महासभा के प्रस्ताव संख्या 217 ;तृतीयद्ध द्वारा मानवाधिकार को सार्वभौमिक रूप से अंगीकार किया जाना, महासभा के 21वें अधिवेशन में 16 दिसंबर 1966 को आर्थिक, सामाजिकएवं सांस्कृतिक अधिकारों पर अंतर्राष्ट्रीय संविदा तथा नागरिकएवं राजनीतिक अधिकारों पर 1966 में अंतर्राष्ट्रीय संविदा का अंगीकार किया जाना मानवाधिकार कें महत्व को प्रतिबिम्ति करता है। जीवन व जगत की व्यापक सत्ताओं में से वेदना भीएक है, परन्तु भित्त शास्त्रों में इसका व्यवहार भिन्न अर्थाे में होता है। बौद्ध धर्म के अनुसार-‘वस्तुओं के सम्पर्क अथवा उनके विचार के सम्पर्क से जो सुख दुख का अनुभव कराती है, वही वेदना कहलाती है।’’ वेदना मूलतः संस्कृत का शब्द है। इसको हम अन्य अर्थों में दर्द, पीड़ा, वेदना, व्यथा इत्यादि के रूप में भी जानते हैं। वेदना शब्द का प्रयोग अनुभूति या मन पर पड़ने वाले प्रभाव को कहा जाता है। वेदना का तात्पर्य ‘बहुत तीव्र मानसिक या शारीरिक कष्ट से है।’ हम मानव जीवन में मुख्यतः तीन प्रकार की वेदनाएं होती हैं- प्रथम कुशल वेदना (सुखद वेदना), द्वितीय अकुशल वेदना (दुःख वेदना)एवं तृतीय अत्याकृत वेदना (असुख-अदुःख वेदना) आदि। किसी भी प्रकार की वेदना उत्पन्न होने के पीछे सुख, दुःख, सौमनस्य, दौमनस्य, उपेक्षा आदि इन वजहों का होना माना जाता है।

DOI: 10.33545/26646021.2019.v1.i2a.14

Pages: 13-16 | Views: 978 | Downloads: 12

Download Full Article: Click Here
How to cite this article:
प्रतिमा सिंह. मानवाधिकार एवं मानवीय वेदना के समक्ष चुनौतियाॅ. Int J Political Sci Governance 2019;1(2):13-16. DOI: 10.33545/26646021.2019.v1.i2a.14
Related Journal Subscription
International Journal of Political Science and Governance

International Journal of Political Science and Governance

International Journal of Political Science and Governance
Call for book chapter