मानवाधिकार à¤à¤µà¤‚ मानवीय वेदना के समकà¥à¤· चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¥…
Author(s): पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सिंह
Abstract: मानवाधिकार की अवधारणा उतनी ही पà¥à¤°à¤¾à¤¨à¥€ है जितना कि मानव इतिहास। मनà¥à¤·à¥à¤¯ के गरिमामय जीवन की रकà¥à¤·à¤¾ हेतॠकà¥à¤› मूलà¤à¥‚त अधिकारों की आवशà¥à¤¯à¤•à¤¤à¤¾ होती है, वेे अधिकार ही मानवाधिकार हैं। बीसवीं सदी में लोकतांतà¥à¤°à¤¿à¤• वà¥à¤¯à¤µà¤¸à¥à¤¥à¤¾ के विकास के साथ-साथ मानवाधिकारों के पà¥à¤°à¤¤à¤¿ सतरà¥à¤•à¤¤à¤¾, जागरूकताà¤à¤µà¤‚ अधिकारों की लोकपà¥à¤°à¤¿à¤¯à¤¤à¤¾ अधिक विसà¥à¤¤à¥ƒà¤¤ हà¥à¤ˆ है। ये अधिकार सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• हैं, जिनà¥à¤¹à¥‡à¤‚ किसी à¤à¥€ परिसà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿à¤¯à¥‹à¤‚ में राजà¥à¤¯ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ उपेकà¥à¤·à¤¿à¤¤ नहीं किया जा सकता। साथ ही ये अधिकार धरà¥à¤®, जाति, लिंग, रंग आदि से परे हैं। साथ ही ये अधिकार समाज के आशà¥à¤°à¤¿à¤¤ वरà¥à¤—ों विशेषतया बचà¥à¤šà¥‹à¤‚, महिलाओं, वृदà¥à¤§à¥‹à¤‚, दिवà¥à¤¯à¤¾à¤‚ग जनों आदि की सà¥à¤¥à¤¿à¤¤à¤¿ में अधिक महतà¥à¤µà¤ªà¥‚रà¥à¤£ हो जाते हैं। 20वीं के राजनीतिक संदरà¥à¤ में जहाॅ नवीन परिवरà¥à¤¤à¤¨ हà¥à¤ वहीं मानवाधिकारों के आदरà¥à¤¶ व सिदà¥à¤§à¤¾à¤‚तों को लेकर मतà¤à¥‡à¤¦ à¤à¥€ उà¤à¤° कर आये। मानवाधिकारों का सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• घोषणा के रूप में विकास अरà¥à¤¥à¤¾à¤¤à¥ संयà¥à¤•à¥à¤¤ राषà¥à¤Ÿà¥à¤° महासà¤à¤¾ के पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¤¾à¤µ संखà¥à¤¯à¤¾ 217 ;तृतीयदà¥à¤§ दà¥à¤µà¤¾à¤°à¤¾ मानवाधिकार को सारà¥à¤µà¤à¥Œà¤®à¤¿à¤• रूप से अंगीकार किया जाना, महासà¤à¤¾ के 21वें अधिवेशन में 16 दिसंबर 1966 को आरà¥à¤¥à¤¿à¤•, सामाजिकà¤à¤µà¤‚ सांसà¥à¤•à¥ƒà¤¤à¤¿à¤• अधिकारों पर अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संविदा तथा नागरिकà¤à¤µà¤‚ राजनीतिक अधिकारों पर 1966 में अंतरà¥à¤°à¤¾à¤·à¥à¤Ÿà¥à¤°à¥€à¤¯ संविदा का अंगीकार किया जाना मानवाधिकार कें महतà¥à¤µ को पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤¬à¤¿à¤®à¥à¤¤à¤¿ करता है। जीवन व जगत की वà¥à¤¯à¤¾à¤ªà¤• सतà¥à¤¤à¤¾à¤“ं में से वेदना à¤à¥€à¤à¤• है, परनà¥à¤¤à¥ à¤à¤¿à¤¤à¥à¤¤ शासà¥à¤¤à¥à¤°à¥‹à¤‚ में इसका वà¥à¤¯à¤µà¤¹à¤¾à¤° à¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ अरà¥à¤¥à¤¾à¥‡ में होता है। बौदà¥à¤§ धरà¥à¤® के अनà¥à¤¸à¤¾à¤°-‘वसà¥à¤¤à¥à¤“ं के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• अथवा उनके विचार के समà¥à¤ªà¤°à¥à¤• से जो सà¥à¤– दà¥à¤– का अनà¥à¤à¤µ कराती है, वही वेदना कहलाती है।’’ वेदना मूलतः संसà¥à¤•à¥ƒà¤¤ का शबà¥à¤¦ है। इसको हम अनà¥à¤¯ अरà¥à¤¥à¥‹à¤‚ में दरà¥à¤¦, पीड़ा, वेदना, वà¥à¤¯à¤¥à¤¾ इतà¥à¤¯à¤¾à¤¦à¤¿ के रूप में à¤à¥€ जानते हैं। वेदना शबà¥à¤¦ का पà¥à¤°à¤¯à¥‹à¤— अनà¥à¤à¥‚ति या मन पर पड़ने वाले पà¥à¤°à¤à¤¾à¤µ को कहा जाता है। वेदना का तातà¥à¤ªà¤°à¥à¤¯ ‘बहà¥à¤¤ तीवà¥à¤° मानसिक या शारीरिक कषà¥à¤Ÿ से है।’ हम मानव जीवन में मà¥à¤–à¥à¤¯à¤¤à¤ƒ तीन पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की वेदनाà¤à¤‚ होती हैं- पà¥à¤°à¤¥à¤® कà¥à¤¶à¤² वेदना (सà¥à¤–द वेदना), दà¥à¤µà¤¿à¤¤à¥€à¤¯ अकà¥à¤¶à¤² वेदना (दà¥à¤ƒà¤– वेदना)à¤à¤µà¤‚ तृतीय अतà¥à¤¯à¤¾à¤•à¥ƒà¤¤ वेदना (असà¥à¤–-अदà¥à¤ƒà¤– वेदना) आदि। किसी à¤à¥€ पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤° की वेदना उतà¥à¤ªà¤¨à¥à¤¨ होने के पीछे सà¥à¤–, दà¥à¤ƒà¤–, सौमनसà¥à¤¯, दौमनसà¥à¤¯, उपेकà¥à¤·à¤¾ आदि इन वजहों का होना माना जाता है।
DOI: 10.33545/26646021.2019.v1.i2a.14Pages: 13-16 | Views: 995 | Downloads: 12Download Full Article: Click HereHow to cite this article:
पà¥à¤°à¤¤à¤¿à¤®à¤¾ सिंह.
मानवाधिकार à¤à¤µà¤‚ मानवीय वेदना के समकà¥à¤· चà¥à¤¨à¥Œà¤¤à¤¿à¤¯à¤¾à¥…. Int J Political Sci Governance 2019;1(2):13-16. DOI:
10.33545/26646021.2019.v1.i2a.14